कल्पवासियों के लिए दूर की कौड़ी साबित हो सकता है संगम, इस कारण सता रहा डर








अरबों रुपये खर्च कर बनाई जा रही कुंभ नगरी में संगम स्नान की कामना लेकर आने वाले कल्पवासियों के संगम दूर की कौड़ी साबित हो सकता है। कल्पवासियों के लिए संगम के आसपास के क्षेत्र में इस बार जगह मिलने की उम्मीद कम ही है। वजह यह है कि प्रशासन का सारा ध्यान संगम के आसपास के क्षेत्र में अखाड़ों, शंकराचार्यों, साधुओं और संतों को बसाने पर ही है। इसके लिए अच्छाखासा दबाव भी है। लिहाजा कल्पवासियों को संगम से दो तीन किलोमीटर दूर ही जगह मिलने की उम्मीद है।

इस आशंका के मद्देनजर पहले से ही संगम और मोरीमार्ग पर जमीन देने की मांग कर रहा है मगर मेला प्रशासन की ओर से अभी तक ऐसा को संकेत नहीं मिला है कि प्रयागवालों को कहां जमीन आवंटित होगी। दरअसल कुुंभ मेले में देश के कोने-कोने से आने वाले कल्पवासियों के रहने की सारी व्यवस्था प्रयागवाल ही करते हैं। मेला प्रशासन कल्पवासियों को कोई भूमि आवंटित नहीं करता है। जमीनें और सुविधाएं तीर्थ पुरोहितों को दी जाती हैं। कल्पवासी इन्हीं तीर्थपुरोहितों के यजमान होते हैं।





माघ मेला आने वाले श्रद्धालुओं की प्राथमिकता संगम क्षेत्र में ही बसने की होती है ताकि आसानी से संगम स्नान कर सकें। कल्पवासी ही माघ मेले का मुख्य आधार होते हैं। एक माह तक संगम के तट पर रहकर पूजा पाठ और दान करने का जरिया तीर्थ पुरोहित होते। प्रयागवाल सभा के अध्यक्ष राजेंद्र पालीवाल कहते हैं कि मुख्यमंत्री से लेकर मेला अधिकारी तक को प्रत्यावेदन देकर संगम से मोरी मार्ग के बीच जमीन आवंटित करने की मांग की गई है ताकि कल्पवासियों को कोई असुविधा न हो। मगर अभी तक मेला प्रशासन की ओर से इसके लिए हामी नहीं भरी गई है। जमीन कहां मिलेगी यह अभी स्पष्ट नहीं है।

पिछले कुंभ में सेक्टर 11-12 में मिली थी जमीनें
वर्ष 2013 के महाकुंभ में प्रशासन ने कल्पवासियों के लिए सेक्टर 11 और 12 महावीर मार्ग के उत्तर और दक्षिण मं सर्वाधिक जमीनें आवंटित की थी। यहां लगभग 290 बीघा और 191 बीघा जमीन दी गई थी। इसी प्रकार से सेक्टर पांच, छह, सात, आठ, नौ और दस में भी तीर्थपुरोहितों को जमीनें आवंटित की थी। प्रयागवाल सभा के मंत्री राजेश तिवारी का कहना है कि मेला प्रशासन से इस बार भी 2013 के कुंभ की तरह ही जमीन और सुविधाएं देने की मांग की गई है।

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