कुंभ के लिए भूमि आवंटन का हुआ श्रीगणेश

कुंभ मेलाधिकारी विजय किरन आनंद की मौजूदगी में सुबह नौ बजे भूमि आवंटन की प्रक्रिया आरंभ हुई। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि और महामंत्री महंत हरि गिरि की मौजूदगी में बड़ा अखाड़ा, नया उदासीन अखाड़ा, पंचदशनाम जूना अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, महानिर्वाणी, निर्वाणी अनि, आवाहन, अग्नि अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, दिगंबर अनि अखाड़ा और अटल अखाड़ा के महंतों, प्रतिनिधियों के अलावा संतों ने अपनी पसंद बताई। इसके बाद बारी-बारी से सभी 13 अखाड़ों को कुल 85 बीघा भूमि आवंटित की गई। भूमि आवंटन के दौरान ही अखाड़ों की ओर से आपत्ति दर्ज कराई जाने लगी। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने बताया कि इस भूमि आवंटन से अखाड़ों में असंतोष पैदा हो गया है। सभी अखाड़ों ने अपनी-अपनी ओर से आपत्तियां दर्ज कराई हैं। इससे मेला प्रशासन को अवगत करा दिया गया है।
                                                                              कुंभ मेले में तंबुओं की नगरी बसाने के लिए शुक्रवार को भूमि आवंटन का श्रीगणेश हो गया। सबसे पहले सभी 13 अखाड़ों को भूमि आवंटित की गई। कुल 85 बीघा भूमि गंगा पार झूंसी में आवंटित की गई। भूमि आवंटन के दौरान ही किचकिच शुरू हो गई। अखाड़ों ने सड़क की चौड़ाई कम होने के साथ ही पर्याप्त भूमि न मिलने पर नाराजगी जताई। साथ मेला प्रशासन को इस पर पुनर्विचार के लिए कहा गया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि महाराज ने देर शाम कहा कि मेला प्रशासन की ओर से किए गए भूमि आवंटन से अखाड़े संतुष्ट नहीं हैं। अफसरों इसका जल्द समाधान ढूंढने के लिए कहा गया है, ताकि नाहक विवाद पैदा न होने पाए। 
                                                        गंगा का जलस्तर घटने के पहले ही मेला प्रशासन ने जल्दबाजी में भूमि सुविधाओं के आवंटन का प्लान तैयार कर लिया। इस वजह से दिक्कतें आने लगी हैं। दो दिन के भीतर फिर बैठक कर इस पर सहमति बनाई जाएगी। महंत नरेंद्र गिरि महाराज, अध्यक्ष- अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद।

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