इस बार महामंडलेश्वर आएंगे 'ऑस्ट्रेलिया' और 'अमेरिका' से भी।
संगम की रेती पर लगने वाले कुंभ पर्व में देश और दुनिया के कोने-कोने से श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने और आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति के लिए आएंगे। अखाड़े कुंभ पर्व के सबसे बड़े आकर्षण होंगे। उनकी छावनी से लेकर पेेशवाई और शाही स्नान तक सभी कुछ अलग और खास होगा। अखाड़ों के अलावा विदेशों के महामंडलेश्वर भी आस्था के पर्व की शोभा बढ़ाएंगे।
शाही स्नान का पहला अधिकार रखने वाले पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की पेशवाई भी निराली होगी।शाही परंपरा के अनुरूप निकलने वाली महानिर्वाणी की पेशवाई में देश के अलग-अलग प्रांतों में बसे महामंडलेश्वरों के अतिरिक्त सात समंदर पार बसे महामंडलेश्वर भी रहेंगे। इसमें आस्ट्रेलिया में बसे महामंडलेश्वर जसराजपुरी जी महाराज सहित महामंडलेश्वर ज्ञानेश्वर आनंद जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी विवेक पुरी जी महाराज शामिल हैं। वहीं न्यूयार्क में बसे महामंडलेश्वर स्वामी हरिश्चंद्र पुरी जी महाराज के साथ स्वामी नित्यानंद व अखाड़े की परंपरा का प्रचार-प्रसार कर रहे अन्य संत भी पेशवाई का आकर्षण रहेंगे।
श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रामसेवक गिरि और श्रीमहंत जमुना पुरी जी महाराज ने पेशवाई की तैयारियां साझा कीं। कहा, परंपरा के मुताबिक अखाड़े से जुड़े सभी महामंडलेश्वर पेशवाई में शामिल होंगे। अब तक विदेशों में बसे दर्जन भर महामंडलेश्वरों ने आने की हामी भरी है। पाली के ओमकार पीठ के महामंडलेश्वर महेश्वरानंद पुरी सहित कई देेशों में बसे उनके शिष्यों ने भी कुंभ पर्व के शाही स्नान में शामिल होने की स्वीकृति भेजी है।
प्रयागराज के कुंभ पर्व को लेकर संतों के साथ ही श्रद्धालु भी बहुत उत्साहित हैं।महानिर्वाणी की पेशवाई में देश के अलग-अलग प्रांतों के नामचीन तकरीबन डेढ़ दर्जन बैंड अपनी प्रस्तुतियां देंगे। वहीं शंख और डमरू के वाद्य यंत्रों का अनूठा संगम भी होगा। अखाड़े के प्रवक्ता तीर्थराज पांडेय ‘बच्चा भइया’के मुताबिक महानिर्वाणी की पेशवाई मध्य दारागंज स्थित अखाड़े के प्रधान कार्यालय में भगवान कपिल मुनि का आशीर्वाद लेने के बाद निकलेगी। अखाड़े के शस्त्रदेव भालों के साथ ही पारंपरिक वाद्ययंत्र, अनुठीक, पालकी, मुरथल और सोने-चांदी के मुकुट भी पेशवाई और शाही स्नान की शोभा बढ़ाएंगे।
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