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कमल दल पर सरस्वती मां विराजेंगी अकबर के किले में II

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मूल अक्षयवट खुलने के साथ ही इस बार अकबर के ऐतिहासिक किले में सरस्वती कूप पर मां सरस्वती की नयनाभिराम प्रतिमा स्थापित होगी। पहली बार कुंभ में श्रद्धालु सरस्वती कूप के पवित्र जल से आचमन के साथ ही मां सरस्वती के भी दर्शन कर सकेंगे। प्रदेश सरकार की इस परिकल्पना को साकार करने के लिए दिल्ली की एक एडवरटाइजिंग एजेंसी को सरस्वती प्रतिमा के निर्माण का जिम्मा दिया गया है। 31 दिसंबर तक कूप पर प्रतिमा स्थापित कर दी जाएगी, ताकि जनवरी में नए साल के पहले दिन से ही देश-दुनिया के श्रद्धालु त्रिवेणी में स्नान के बाद मां सरस्वती की प्रत्यक्ष आराधना कर सकें। संगम तट पर स्थित अकबर के किले के 435 वर्षों के इतिहास में पहली बार सरस्वती कूप पर बड़ा बदलाव होगा। संगम में अदृश्य सरस्वती को प्रतीक रूप में इस कूप पर प्राण-प्रतिष्ठित किया जाएगा, ताकि कुंभ में विश्व भर से आने वाले श्रद्धालुओं को मां सरस्वती के दर्शन का भी लाभ मिल सके। इसके लिए दिल्ली की विविद एडवरटाइजिंग एजेंसी को सरस्वती प्रतिमा के निर्माण की जिम्मेदारी दी गई है। इस प्रतिमा की लागत 15 लाख रुपये होगी। मूर्तिकार कमलनाथ के निर्देशन में कारीगर इस प्रत

पेशवाई व शाही स्नान के मार्ग , स्थलीय निरीक्षण के बाद तय होंगे ll

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पेशवाई मार्गों के साथ ही अखाड़ों की सुरक्षा समेत तमाम मुद्दों पर मंथन के लिए मेला पुलिस लाइन में शुक्रवार को अफसरों का जमावड़ा हुआ। बैैठक में तय हुआ कि पेशवाई व शाही स्नान के मार्गों का निर्धारण पुलिस व प्रशासनिक अफसर निरीक्षण के बाद तय करेंगे। बैठक में सबसे पहले पेशवाई को लेकर चर्चा हुई। इसमें अफसरों ने निर्देश दिया कि सीओ व मजिस्ट्रेट निरीक्षण कर बताएं कि पेशवाई किन मार्गों से निकाला जाना उचित होगा। इसके बाद पेशवाई के मार्ग निर्धारित किए जाएंगे। साथ ही उनकी सुरक्षा व्यवस्था पर भी चर्चा हुई। इसके बाद शाही स्नान के स्थान, तिथि, समय व आने-जाने वाले मार्गों की सुरक्षा व्यवस्था पर चर्चा हुई। इस बात पर भी विचार विमर्श किया गया कि महामंडलेश्वरों शाही स्नान के लिए अखाड़ों-शिविरों तक किस प्रकार से लाया जाए। पेशवाई व शाही स्नान के जुलूस के दौरान पशुओं एवं वाहनों के प्रयोग पर भी चर्चा की गई। इसके अलावा अखाड़ों के संतों, महामंडलेश्वरों की सुरक्षा व्यवस्था भी सुनिश्चित कराने का निर्देश अफसरों ने दिया। यह भी कहा गया कि मेला क्षेत्र स्थित अखाड़ों के शिविरों में गारद भी लगाई जाएगी। अखाड़ों से कहा

अक्षयवट मंदिर के देखरेख की जिम्मेदारी सेना के हाथ में।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस अक्षयवट के दर्शन किए थे, वहां तक पहुंचने का मार्ग भी सेना अब काफी तेजी से तैयार कर रही है। यहां मेला प्राधिकरण की ओर से अक्षयवट मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इस बीच डीआईजी कुंभ केपी सिंह ने बृहस्पतिवार को सैन्य अफसरों के साथ अक्षयवट मंदिर तक पहुंचने वाले रास्ते का निरीक्षण किया। 16 दिसंबर को ही पीएम नरेंद्र मोदी ने झूंसी के अंदावा में आयोजित सभा में अक्षयवट मंदिर खोले जाने की घोषणा की थी। उनकी इस घोषणा के बाद मेला प्रशासन और सेना ने अक्षयवट मंदिर तक श्रद्धालुओं को लाने की तैयारी शुरू कर दी। हालांकि अगस्त माह में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के किला में दौरा करने के बाद से ही सेना ने यहां अक्षयवट तक पहुंचने वाला रास्ता बनाना शुरू कर दिया था। अब पीएम की घोषणा के बाद इस कार्य ने तेजी पकड़ ली है। बताया जा रहा है कि अक्षयवट को लेकर प्रयागराज मेला प्राधिकरण और सेना के अफसरों की बैठक हुई थी। यहां पातालपुरी गेट स्थित राधा कृष्ण मंदिर के बगल वाली दीवार को ड्रिल किया जाएगा। दीवार के पीछे सेना की ओर से अक्षयवट तक पहुुंच

अक्षयवट का दर्शन कर सकेंगे १० जनवरी से।

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किला स्थित अक्षयवट के दर्शन श्रद्धालु दस जनवरी से कर सकेंगे। कुंभ मेला में आने वाले श्रद्धालुओं को यह दर्शन अभी 20 फरवरी तक कराएं जाएंगे। इसके बाद श्रद्धालु इसका दर्शन कब करेंगे वह कार्यक्रम बाद में जारी किया जाएगा। उधर, सेना ने श्रद्धालुओं का दर्शन करवाने से संबधित तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए किले के अंदर एक नया रास्ते का निर्माण शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 दिसंबर को झूंसी के अंदावा में आयोजित सभा में अक्षयवट मंदिर खोले जाने का एलान किया था। उनके इस एलान के बाद मेला प्रशासन और सेना ने अक्षयवट मंदिर तक श्रद्धालुओं को लाने की तैयारी शुरू कर दी। बताया जा रहा है कि पातालपुरी मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित राधा कृष्ण मंदिर के बगल से नया रास्ता बनाया जाएगा। वहां एक दीवार भी है। चर्चा है कि दीवार का कुछ हिस्सा ड्रिल किया जाएगा। वहीं दीवार के दूसरी ओर भी सेना की ओर से अक्षयवट तक जाने वाले मार्ग का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। इस रास्ते के दोनों ओर लोहे की जालियां लगाई गई हैं, ताकि कोई भी श्रद्धालु इधर-उधर न जा सके। इस रास्ते में एक डिवाइडर भी बनाया ज

कुंभ के प्रथम शाही स्नान से पहले खुलेगा मूल अक्षयवट l

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कुंभ के प्रथम शाही स्नान मकर संक्रांति से पहले देश-दुनिया के श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए मूल अक्षयवट को खोल दिया जाएगा। प्रधानमंत्री के एलान के बाद अकबर के ऐतिहासिक किले में लंबे समय से बंद अक्षयवट तक जाने के लिए रास्ता बनाने का काम शुरू हो गया है। करीब 435 वर्ष पुराने इस किले की पूर्वी हिस्से की दीवार को खोलकर अक्षयवट तक जाने का रास्ता बनाया जाएगा। दीवारकिनारे के गड्ढों को भरने के साथ ही बैरीकेडिंग कराई जा रही है, ताकि श्रद्धालुओं को सुगमता से दर्शन कराया जा सके। मूल अक्षयवट तक श्रद्धालुओं के प्रवेश और निकास का रास्ता तय कर लिया गया है। किले के पूर्वी द्वार से प्रवेश के बाद स्थित मंदिर केपास से दीवार खोलकर भीतर जाने का नया रास्ता बनाया जाएगा। किले की दक्षिणी दीवार के किनारे से ही श्रद्धालु अक्षय वट तक पहुंचेंगे। डीआईजी कुंभ मेला केपी सिंह के अनुसार पीएम की घोषणा के बाद मूल अक्षयवट तक श्रद्धालुओं के प्रवेश का खाका तैयार कर लिया गया है। इसके लिए सेना, प्रशासन और पुलिस के अफसरों की एक दौर की समन्वय बैठक हो चुकी है। रूट निर्धारण पर जल्द ही फिर समन्वय बैठक होगी। एक उच्चाधिकारी ने बताया

प्रयागराज पहुंचे दुनिया के ७१ राजनयिकों का स्वागत पुष्पवर्षा और तिरंगे से किया गया।

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संगम की रेती से फिर विश्व कल्याण और सर्वमंगल की कामना का संदेश जाएगा। विविधता में एकता और वसुधैव कुटुंबकम की संकल्पना को और करीब से जानने-समझने के लिए पूरी दुनिया संगम तट पर सिमट आएगी। इसे पूरा करने के लिए इस कुंभ में 192 देशों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है। आज 71 देशों का प्रतिनिधिमंडल संगम क्षेत्र पहुंच गया है। जहां पांच घंटे रुककर प्रदर्शनी, डाक्यूमेंटरी आदि के माध्यम से भव्य और दिव्य कुंभ की छवियों को निहारा। ‘चलो चलें कुंभ’ अभियान का हिस्सा बनने और उसे सार्थक करने वाले राजनयिकों के स्वागत के लिए संगम की रेती सजी। मकसद वही कि राजनयिक भव्य कुंभ की छवियों के साथ जाएं और अपने देशवासियों को भी यहां आने के लिए प्रेरित, प्रोत्साहित करें। यूनेस्को पहले ही दुनिया के सबसे बड़े मेले के रूप में कुंभ को धरोहरों की सूची में शामिल कर चुका है। अब दुनिया भर में इसे साबित करने की कोशिश भी है। कोशिश है कि एयरपोर्ट से लेकर संगम तक हर जगह, अलग-अलग अंदाज में उनका ऐसा स्वागत हो जो उन्हें अभिभूत करे। खान-पान की व्यवस्था ताज की टीम को दी गई है तो अन्य तैयारियों के लिए दिल्ली की इवेंट मैनेज

श्रद्धालु अब जलमार्ग से भी अर्द्ध कुंभ मेला पहुंच सकेंगे।

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काशी से प्रयागराज के बीच दो जलपोत सीएल कस्तूरबा और एसएल कमला चलाए जाएंगे। जहाजरानी मंत्रालय के निर्देश पर 15 जनवरी से 15 मार्च के बीच यह सुविधा देने का निर्णय लिया गया है।  अंतर्देशीय जलमार्ग विकास प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) ने इसके लिए काम भी शुरू कर दिया है। प्रयागराज से वाराणसी के बीच चटनाग, सिरसा, सीतामढ़ी, विंध्याचल और चुनार में अस्थाई जेट्टी लगाई जा रही हैं। जहां से श्रद्धालु जलपोतों पर चढ़ व उतर सकेंगे। इसके अलावा प्रयागराज में किलाघाट, सरस्वती घाट, नैनी ब्रिज और सुजवान घाट पर फ्लोटिंग टर्मिनल भी बनाए जा रहे हैं। इनलैंड वाटरवेज अथारिटी ऑफ इंडिया के अनुसार, जरूरत पड़ने पर और भी जलपोतों की सुविधा प्रदान की जाएगी। फ्लोटिंग टर्मिनलों के बीच का किराया 20 से 100 रुपये होगा। प्रयागराज और वाराणसी के बीच गंगा में कम से कम एक मीटर गहराई बनाए रखने के लिए भी काम शुरू हो गया है, ताकि जलपोतों का संचालन आसानी से हो सके। उधर, दरअसल कई निजी कंपनियों ने भी इलाहाबाद से काशी के बीच जहाज संचालन की इच्छा जताई है।  आईडब्ल्यूएआई के अध्यक्ष प्रवीर पांडेय ने कहा कि सुरक्षित और सुविधाज

स्नान पर्व के दो दिन पूर्व गंगाजल का जांचा जाएगा प्रदूषण स्तर : कुंभ

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कुंभ मेले में हर मुख्य स्नान पर्व से दो दिन पूर्व गंगाजल की जांच होगी, जिसमें प्रदूषण मानक से अधिक होने पर उनके खिलाफ भी बंदी की कार्रवाई होगी। कुंभ के दौरान गंगा में सीधे औद्योगिक अपशिष्ट व प्रदूषित पानी गिराने वाली औद्योगिक इकाइयों की सख्ती से मॉनिटरिंग चल रही है।  मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान समेत देश के पांच तकनीकी संस्थान व विश्वविद्यालय इन इकाइयों से गंगा में बहाए जा रहे औद्योगिक कचरे एवं पानी की जांच कर रहा है। 23 से 30 दिसंबर के बीच औचक जांच होगी। यदि इस दौरान प्रदूषण मानक से अधिक रहा तो इन्हें बंद कर दिया जाएगा।  एमएनएनआइटी के निदेशक प्रो. राजीव त्रिपाठी ने बताया कि कुंभ के दौरान श्रद्धालुओं को शुद्ध व साफ गंगा जल मिले, इसके लिए गंगा के किनारे बसे शहरों के प्रमुख तकनीकी संस्थानों का सहयोग लिया गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मोतीलाल नेहरू प्रौद्योगिकी संस्थान, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, आइटीआरसी से समझौता किया है। इस समझौते के तहत विभिन्न शहरों की करीब 400 औद्योगिक इकाइयों से निकल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का होगा १६ दिसंबर को प्रयागराज में आगमन।

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  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सभा स्थल की उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने गुरुवार को शुभ मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ झूंसी के अंदावा में भूमि पूजन किया। पीएम मोदी सोलह दिसंबर को आएंगे। वह लगभग साढ़े तीन हज़ार करोड़ रुपये के कुंभ के स्थायी कार्यों का लोकार्पण करेंगे। ऐसे में उद्योगों को प्रधानमंत्री से संजीवनी की दरकार रहेगी। उल्लेखनीय है कि 1980 के दशक तक संगमनगरी की पहचान नैनी औद्योगिक क्षेत्र से भी थी। यहां सैकड़ों लोग काम करते थे। इसके बाद एक-एक करके कई फैक्ट्रियां बंद होने से औद्योगिक क्षेत्र का गौरव कम हो गया।  सोलह दिसंबर को पीएम मोदी का कार्यक्रम कार्यक्रम के मुताबिक पीएम नरेंद्र मोदी प्रयागराज में सवा तीन घंटे रहेंगे।  पीएम रायबरेली से तीन हेलीकॉप्टर से आएंगे। एमएनएनआइटी में हेलीपैड तैयार। एमएनएनआइटी से प्रधानमंत्री की फ्लीट 11 किमी दूर संगम तट तक पहुंचेगी।  संगम तट पर प्रधानमंत्री एक घंटे पांच मिनट तक दर्शन पूजन आदि करेंगे। इसी दौरान मोदी हेलीकॉप्टर से कुंभ मेला क्षेत्र का हवाई सर्वे करेंगे। हवाई सर्वे के करते झूंसी स्थित सभास्थल पर संबोधित करन

पहली सेमी हाईस्पीड ट्रेन स्टापेज की घोषणा प्रयागराज में हो सकती है।

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अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन 'टी-18Ó पटरी पर रफ्तार भरने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 दिसंबर को प्रयागराज में प्रस्तावित अपनी जनसभा में यहां इसके ठहराव का एलान कर सकते हैं। वाराणसी से दिल्ली तक चलने वाली इस ट्रेन का परिचालन 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर होने की उम्मीद है। इलाहाबाद जंक्शन पर ट्रेन को दो से तीन मिनट का ठहराव मिलेगा। इलाहाबाद के बाद कानपुर में स्टापेज होगा। किराया गतिमान एक्सप्रेस जैसा है। दोनों ट्रेनों का किराया दूरी के अनुरूप बराबर होगा। इसमें फ्लैक्सीफेयर लागू होगा। 'टी-18' ट्रेन दिल्ली से वाराणसी की दूरी आठ घंटे में तय करेगी। सुबह छह बजे चलकर दोपहर दो बजे पहुंचेगी, जबकि वाराणसी से दोपहर ढाई बजे रवाना होगी। वहीं प्रयागराज से दिल्ली की दूरी तकरीबन छह घंटे में तय होगी। यह ट्रेन चेयरकार है। बीते दिनों मुरादाबाद रेल मंडल में 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से इसका ट्रायल हुआ है। दिल्ली-कोटा रूट पर यह ट्रेन 180 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलेगी।

कुंभ के प्रचार-प्रसार के लिए जिले में पहुंच गई एलईडी वैन ll

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कुंभ के प्रचार-प्रसार के लिए जिले में तीन दिसंबर को एलईडी वैन पहुंच गई। विकास भवन, कलेक्ट्रेट, तहसील परिसर, जिला अस्पताल समेत अन्य स्थानों पर एलईडी वैन के माध्यम से लोगों को सोमवार को कुंभ के महत्व के बारे में बताकर जागरूक किया गया। साथ ही संगम स्नान के लिए प्रयागराज कुंभ पहुंचने का आह्वान किया गया।  दिव्य कुंभ को भव्य व ऐतिहासिक बनाने के लिए प्रदेश सरकार गांव-गांव प्रचार प्रसार में जुटी है। एलईडी वाहन से भ्रमण कर कुंभ की महत्ता, इसके पौराणिक महत्व के साथ ही सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं की जानकारी भी दी जा रही है। मंगलवार को वैन शहर के सक्सेना चौक, बैकुंठपुर, मऊपाकड़ चौराहा और ब्लॉक गेट के पास पहुंचा। प्रयागराज में 15 जनवरी से 4 मार्च तक होने वाले कुंभ की भव्यता के लिए सरकार ने पूरी ताकत लगा दी है। देश व विदेश में ‘यूपी नहीं देखा तो इंडिया नहीं देखा’ के नारों के साथ जहां कुंभ की ब्रांडिंग  की जा रही है, वहीं प्रदेश के जिलों में अब सरकार ‘चलो कुंभ चले’ के नारे के साथ एलईडी वैन के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रही है। एलईडी वैन के साथ आए आमिर ने बताया कि एक माह तक जिले में प्रच

अमृत-संदेश है इस कुंभ में ll

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दुनिया के चांद पर जाने को तैयार इस दौर में मात्र गंगा में डुबकी मात्र से मोक्ष की आस पर इतरा भी सकते हैं, मुस्करा भी। पर इस सच से मुंह मोड़ नहीं सकते कि समाज का बड़ा हिस्सा इस आस्था से अनुप्राणित है कि मात्र कुंभ स्नान से वह मोक्ष के अधिकारी हो जाएंगे। इस जमावड़े में विदेशी भी शामिल हैं। महेशानंद गिरि के जुलूस में पखावज बजाते विदेशी भक्तों की भीड़ रोमांचित करती है। कैलीफोर्निया से आई पेंटर सेरेन तो अचंभित है। अद्भुत, अकल्पनीय, अवर्णनीय। पौ फटने के साथ संगम की रेती पर हर तरफ बस सिर ही सिर। इतनी भीड़। न कोई आह्वान, न घोषणा, न ही कोई प्रचार या पोस्टर। पंचांग के एक कोने में कुंभ या महाकुंभ लिखे होने के आधार मात्र पर इस जनसमुद्र का जुटना अचंभे में डालता है। आखिर कौन सी विद्युत तरंग मन को उद्वेलित कर देती है कि वह खिंचा सा चला आया। अस्मिता की पहचान, खुद से जुड़ने की लालसा या फिर आस्था? हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ तमाम अखाड़ों के साधू-संतों का जुलूस। गंगा के  दुग्धाभिषेक के साथ नागा साधुओं का छपाक-छपाक।  धूनी लपेटे साधुओं के अजब-गजब करतब। शाही स्नान का सिलसिला बढ़ता है जो दिन भ

प्रयागराज जंक्शन समेत शहर के सभी रेलवे स्टेशनों पर 51 दिनों तक बंद रहेगी पार्सल बुकिंग

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इलाहाबाद जंक्शन पर कुंभ मेले के मद्देनजर रेलवे प्रशासन सभी तरह के पार्सल की बुकिंग पर रोक लगाने जा रहा है। यह रोक 13 जनवरी से चार मार्च 2019 तक प्रभावी रहेगी। इस दौरान जंक्शन समेत शहर के सभी रेलवे स्टेशनों से किसी भी तरह के पार्सल की बुकिंग नहीं होगी। हालांकि, रेलवे ने आवश्यक वस्तुओं की बुकिंग पर रोक न लगाए जाने की बात कही है। इसमें न्यूज पेपर, मैगजीन आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं। फिलहाल, जंक्शन पर कुंभ के दौरान 51 दिन पार्सल की बुकिंग एवं उसकी आवाजाही पर रोक रहेगी।   कुंभ मेले का पहना स्नान पर्व मकर संक्रांति के मौके पर 15 जनवरी 2019 को पड़ रहा है। इसके बाद पौष पूर्णिमा, मौनी अमावस्या, वसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और सबसे अंतिम में चार मार्च को महाशिवरात्रि का स्नान पर्व है। इन स्नान पर्वों को देखते हुए जंक्शन पर रेलवे सभी तरह के पार्सल की बुकिंग पर रोक लगा दी है। यह रोक जंक्शन के साथ इलाहाबाद छिवकी, सूबेदारगंज और नैनी स्टेशन पर भी रहेगी। उत्तर रेलवे के प्रयाग और पूर्वोत्तर रेलवे के इलाहाबाद सिटी स्टेशन से भी पार्सल बुक नहीं कराए जा सकेंगे। साथ ही इस अवधि में देश के किसी भी स्टेशन

अर्ध कुंभ के लिए जम्मू से विशेष ट्रेन की मांग, कई संगठनों ने रेल मंत्रालय को लिखा था पत्र

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आस्था के सबसे बड़े संगम अर्ध कुंभ के लिए जम्मू से प्रयागराज तक विशेष ट्रेन चलाने की मांग हो रही है। जम्मू के विभिन्न सामाजिक संगठन कुंभ मेले के लिए विशेष ट्रेन की मांग कर रहे हैं। 14 जनवरी से शुरू होने जा रहे कुंभ मेले में राज्य से हजारों की संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज जाते हैं। डोगरा ब्राह्मण प्रतिनिधि सभा सहित अन्य सामाजिक संगठन जम्मू से प्रयागराज तक विशेष ट्रेन की मांग कर रहे है। सभा के अध्यक्ष वेद प्रकाश शर्मा ने कहा इस संबंध में रेल मंत्री को पत्र लिखा गया था, लेकिन अफसोस मंत्रालय की ओर से कोई पहल नहीं की गई है। हरिद्वार के साथ अर्ध कुंभ मेले के प्रति लाखों लोगों की आस्था है।  जम्मू से अर्ध कुंभ जाने वाले हजारों श्रद्धालु के लिए कोई सीधी ट्रेन नहीं होने के कारण श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। वेद प्रकाश शर्मा ने कहा कि आगामी दिनों में इस संबंध में स्थानीय संसद से इस हस्तक्षेप करने की मांग की जाएगी, ताकि मेले से पहले श्रद्धालुओं को ट्रेन का लाभ मिल सके। 

काशी में आयोजित पर्यावरण कुंभ का समापन

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वाराणसी के काशी विद्यापीठ में आयोजित दो दिवसीय पर्यावरण कुंभ में एक खास विचारधारा से जुड़े वक्ता ही दिखाई पड़े। पर्यावरण कुंभ के दौरान इसकी चर्चा रही कि आयोजन में स्थानीय और प्रतिष्ठित पर्यावरणविदों को विचार व्यक्त करने के लिए नहीं बुलाया गया।   आयोजन पर नजर रखने वालों का कहना है कि इसी शहर के प्रो. वीरभद्र मिश्र ने पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया था। आयोजन में उनके फाउंडेशन और उनके परिजनों के अलावा जल पुरुष राजेंद्र सिंह को भी बुलाया जाना चाहिए था। इन्हीं लोगों का मानना है कि वर्तमान सरकार ने कुंभ को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से जोड़कर धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की परिकल्पना को साकार किया है। बावजूद इसके मंच पर विभिन्न विचारों का समावेश होना आवश्यक था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की योजना के मुताबिक पांच वैचारिक कुंभों की योजना के तहत पर्यावरण कुंभ काशी विद्यापीठ में हो चुका है। 8-9 दिसंबर को मातृवंदन कुंभ वृंदावन (मथुरा) में होगा। तीसरा 15-16 को समरसता कुंभ अयोध्या, चौथा 22-23 दिसंबर को युवा कुंभ लखनऊ और पांचवां 30 जनवरी को प्रयाग में संस्कृति कुंभ होगा। ‘सरकार की प्राथमि

कुंभ 2019 की खास तैयारी में जुटा इलाहाबाद संग्रहालय

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अगले वर्ष जनवरी में लगने वाले प्रयाग कुंभ मेले में करोड़ों लोगों के आने की संभावना है और इनमें से बहुत से लोग शहर के अन्य पर्यटन स्थलों को भी देखना पसंद करते हैं। ऐसे ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए राष्ट्रीय महत्व के इलाहाबाद संग्रहालय ने खास तैयारी शुरू की है और इस बार वह कुंभ मेले में अपने शिविर में ही टिकट काउंटर खोलेगा। इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक सुनील गुप्ता के मुताबिक, ‘‘इस बार हम कुंभ मेला क्षेत्र में अपने शिविर में टिकट काउंटर खोलेंगे और तीन दिनों की वैधता वाले टिकट वितरित करेंगे जिससे व्यक्ति तीन दिन में कभी भी संग्रहालय देख सके।’’ उन्होंने बताया कि इसके अलावा, संग्रहालय स्नान की तिथियों पर गांधी स्मृति वाहन को संग्रहालय के गेट पर खड़ा करेगा। 12 फरवरी, 1948 को गांधी जी की अस्थियों को संगम में विसर्जित करने के लिए इसी वाहन का उपयोग किया गया था। गुप्ता ने बताया कि वर्ष 2013 के प्रयाग कुंभ मेले के दौरान 47,000 लोगों ने इलाहाबाद संग्रहालय देखा था और जिस तरह से आगामी कुंभ की ब्रान्डिंग की जा रही है, उसे देखते हुए 2019 के कुंभ में ए

लापरवाही और गंदगी देख भड़के मंत्री : कुम्भ

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जिले के प्रभारी मंत्री बुधवार को मेडिकल कॉलेज के एसआएन अस्पताल में कार्यदायी संस्था पीडब्ल्यूडी की लापरवाही देख तमतमा गए। अधिशासी अभियंता मौके पर नहीं मिले तो लखनऊ में मुख्य अभियंता को फोन लगाया और बोले, पीडब्ल्यूडी के बस का नहीं है काम, कुंभ से पहले कुछ भी हो पाना संभव नहीं दिख रहा है। इसके बाद मंत्री ने कुंभ कार्यों का बारीकी से निरीक्षण किया तो उन्हें हर तरफ खामियां मिलीं। हर तरफ गंदगी पसरी थी तो अधिकांश स्थानों पर मलबे का ढेर लगा था। अफसरों को चेताया अब दंडात्मक कार्रवाई के लिए तैयार रहें। प्रभारी मंत्री आशुतोष टंडन लखनऊ से दोपहर करीब तीन बजे सीधा एसआरएन अस्पताल परिसर पहुंचे। वहां प्राचार्य डॉ. एसपी सिंह, एसआईसी डॉ. एके श्रीवास्तव, डिप्टी एसआईसी गौतम त्रिपाठी ने उनका स्वागत किया।  वह सीधे पुराने भवन में वार्डों का निरीक्षण करने पहुंच गए। गलियारे में टाइल्स का न लगना, बिजली का अधूरा काम और मलबा, कबाड़ पड़ा देख उनका मूड बिगड़ गया। वहीं से मुख्य अभियंता से उनके मातहतों के बारे में जानकारी देकर कुंभ कार्यों में बरती जा रही लापरवाही पर नाराजगी जताई। प्राचार्य से भी निगरानी

जूना अखाड़े का हुआ प्रयागराज में प्रवेश।

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कुंभ  2019 के लिए श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा का झूंसी रामपुर से नगर प्रवेश जुलूस प्रारंभ हुआ। सुबह श्री रोकडिया हनुमान मंदिर पर जूना अखाड़ा के देवता का पूजन हुआ। उसके बाद नगर प्रवेश में शामिल होने आए संतों को दही खिचड़ी का प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत नरेंद्र गिरी महाराज के साथ ही निर्मोही अनी अखाड़ा के श्री महंत राजेंद्र दास, महाराज निर्वाणी अनी के श्री महंत धर्मदास जी, महाराज दिगंबर आणि के श्री महंत शिव शंकर दास के साथ ही नया उदासीन अखाड़ा के पदाधिकारियों सहित 13 अखाड़ों के प्रमुखों ने आकर जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्री महंत हरी गिरी महाराज  के साथ ही रमता पंच के श्री महंतो के साथ ही अखाड़ा के पदाधिकारियों का पुष्प मालाओं से स्वागत किया। सुबह 11:00 बजे रामपुर से प्रारंभ हुआ नगर प्रवेश जुलूस शाम 5:00 बजे श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा सिद्ध बाबा मौज गिरी आश्रम परिसर पहुंचा जहां देवता का पूजन कर अखाड़े के निशान और ध्वज स्थापित किए गए। जुलूस में महामंडलेश्वर के साथ ही अखाड़े के प

ई-रिक्शा कराएंगे मेले का भ्रमण, व्हील चेयर की भी होगी सुविधा

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कुंभ मेला क्षेत्र में भ्रमण का मुख्य आधार ई-रिक्शा होंगे। झूंसी, परेड समेत कई स्थानों पर निजी वाहन रोक दिए जाएंगे। वहां से मेले में जाने तथा भ्रमण कराने के लिए ई-रिक्शा होंगे। इसके लिए 500 ई-रिक्शा चलाए जाएंगे। सलोरी से मेला के 100 फीट चौड़ी समानांतर सड़क भी बनाई जा रही है। इसके अलावा मेला क्षेत्र में भी दो मार्ग होंगे जिन पर ई-रिक्शा का संचालन होगा। मेला क्षेत्र में इस बार कम से कम वाहनों को प्रवेश दिया जाएगा। भारी वाहनों का प्रवेश पूर्णत: प्रतिबंधित करने की योजना है। ऐसे में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं, पर्यटकों के लिए शहर के चारों तरफ पार्किंग की व्यवस्था की गई है। झूंसी में पुरेसुरदास में पार्किंग बनाई जा रही है। यहां से मेला क्षेत्र में सीधे प्रवेश होगा।  पार्किंग स्थल से ई-रिक्शा की सुविधा मिलेगी, जिनकी मदद से झूंसी के अलावा सेक्टर 14 से नौ तक जाया जा सकेगा। लखनऊ से आने वालों के लिए फाफामऊ के बेला कछार में पार्किंग की व्यवस्था की गई है। वहां गंगा नदी पर पीपे के दो पुल बनाए जा रहे हैं। स्नानार्थी वहां से सलोरी आएंगे।  सलोरी में ई-रिक्शा की सुविधा होगी, जिनकी मदद से स

प्रयागराज जंक्शन समेत यूपी के 11 बड़े स्टेशनों पर लगेगा सौ फीट ऊंचा तिरंगा, रेलवे बोर्ड का निर्देश

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उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) के इलाहाबाद जंक्शन समेत जोन के छह प्रमुख स्टेशनों पर अब सौ फीट ऊंचा तिरंगा फहराएगा। रेलवे प्रशासन ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। एनसीआर प्रशासन अपने ए वन ग्रेड के स्टेशनों पर इसकी शुरूआत करेगा। रेलवे बोर्ड के निर्देश पर यह काम 31 दिसंबर तक किया जाना है। भारतीय रेलवे देश के 75 सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों के परिसर में 31 दिसंबर 2018 तक सौ फीट ऊंचा राष्ट्रध्वज लगाने का काम पूरा कर लेगा। इस बाबत रेलवे बोर्ड ने सभी क्षेत्रीय रेलवे को आदेश पत्र भी जारी किया है। 75 स्टेशनों की सूची में एनसीआर जोन के इलाहाबाद जंक्शन, कानपुर सेंट्रल, मथुरा जंक्शन, आगरा कैंट, झांसी जंक्शन और ग्वालियर स्टेशनों के नाम शामिल है। इसके अलावा सूबे में अन्य जोनल रेलवे के अधीन आने वाले दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन, गोरखपुर, लखनऊ, लखनऊ जंक्शन, वाराणसी कैंट, बरेली जंक्शन और उत्तराखंड के हरिद्वार एवं देहरादून रेलवे स्टेशनों पर भी राष्ट्रीय ध्वज आने वाले दिनों में लगाया जाएगा। रेल यात्रियों में राष्ट्रभक्ति की भावना को बढ़ावा देने के लिए इन स्टेशनों पर सौ फीट ऊंचा