अक्षयवट का दर्शन कर सकेंगे १० जनवरी से।












किला स्थित अक्षयवट के दर्शन श्रद्धालु दस जनवरी से कर सकेंगे। कुंभ मेला में आने वाले श्रद्धालुओं को यह दर्शन अभी 20 फरवरी तक कराएं जाएंगे। इसके बाद श्रद्धालु इसका दर्शन कब करेंगे वह कार्यक्रम बाद में जारी किया जाएगा। उधर, सेना ने श्रद्धालुओं का दर्शन करवाने से संबधित तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए किले के अंदर एक नया रास्ते का निर्माण शुरू कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 दिसंबर को झूंसी के अंदावा में आयोजित सभा में अक्षयवट मंदिर खोले जाने का एलान किया था। उनके इस एलान के बाद मेला प्रशासन और सेना ने अक्षयवट मंदिर तक श्रद्धालुओं को लाने की तैयारी शुरू कर दी। बताया जा रहा है कि पातालपुरी मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित राधा कृष्ण मंदिर के बगल से नया रास्ता बनाया जाएगा। वहां एक दीवार भी है। चर्चा है कि दीवार का कुछ हिस्सा ड्रिल किया जाएगा। वहीं दीवार के दूसरी ओर भी सेना की ओर से अक्षयवट तक जाने वाले मार्ग का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। इस रास्ते के दोनों ओर लोहे की जालियां लगाई गई हैं, ताकि कोई भी श्रद्धालु इधर-उधर न जा सके।

इस रास्ते में एक डिवाइडर भी बनाया जाएगा। जिससे एक ओर से श्रद्धालु आएं और दूसरी ओर से वापस जाएं। अक्षयवट के बाद सरस्वती कूप का दर्शन करने के बाद श्रद्धालु जिस रास्ते से बाहर आएंगे, वहां एक खाई भी है। उस खाई पर सेना की ओर से एक पुल का निर्माण किया गया है। पहले यहां अस्थाई लकड़ी का पुल था। इस पुल का प्रयोग ही सेना करती थी। उधर, प्रधानमंत्री के जाने के बाद शासन में दस जनवरी से अक्षयवट का दर्शन श्रद्धालुओं को कराए जाने संबंधी पत्र आया है। अभी श्रद्धालुओं को 20 फरवरी तक दर्शन कराए जाने की योजना है। इसके बाद आगे का कार्यक्रम जारी किया जाएगा। बताया जा रहा है कि जिस अक्षयवट का दर्शन करने प्रधानमंत्री गए थे, उसे श्रद्धालु दूर से ही देख सकेंगे। उसके पास किसी को भी जाने की अनुमति नहीं होगी। श्रद्धालु वहां न पहुंच सके इसके लिए वहां शीशे की दीवार बनाई जाएगी

अक्षयवट मंदिर तक पहुंचने के लिए सेना और मेला प्रशासन की ओर से यमुना तट स्थित जोधाबाई गेट भी खोला जा सकता है। हालांकि इस गेट का उपयोग आपातकालीन स्थिति में ही किया जाएगा। क्योंकि इस गेट से कुछ सीढ़ी उतरने के बाद सीधे यमुना नदी है। पहले इसी गेट से श्रद्धालुओं को अक्षयवट मंदिर ले जाने की तैयारी की गई थी। बाद में यमुना नदी के पास रास्ता संकरा होने पर इस रास्ते का उपयोग आपातकालीन स्थिति में प्रयोग करने पर निर्णय लिया गया। हालांकि यहां गेट के आसपास सफाई करवाई गई है। वहां घाट की सीढ़ियों की मरम्मत का भी काम चल रहा है।

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