कुंभ के प्रथम शाही स्नान से पहले खुलेगा मूल अक्षयवट l
कुंभ के प्रथम शाही स्नान मकर संक्रांति से पहले देश-दुनिया के श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए मूल अक्षयवट को खोल दिया जाएगा। प्रधानमंत्री के एलान के बाद अकबर के ऐतिहासिक किले में लंबे समय से बंद अक्षयवट तक जाने के लिए रास्ता बनाने का काम शुरू हो गया है। करीब 435 वर्ष पुराने इस किले की पूर्वी हिस्से की दीवार को खोलकर अक्षयवट तक जाने का रास्ता बनाया जाएगा। दीवारकिनारे के गड्ढों को भरने के साथ ही बैरीकेडिंग कराई जा रही है, ताकि श्रद्धालुओं को सुगमता से दर्शन कराया जा सके।
मूल अक्षयवट तक श्रद्धालुओं के प्रवेश और निकास का रास्ता तय कर लिया गया है। किले के पूर्वी द्वार से प्रवेश के बाद स्थित मंदिर केपास से दीवार खोलकर भीतर जाने का नया रास्ता बनाया जाएगा। किले की दक्षिणी दीवार के किनारे से ही श्रद्धालु अक्षय वट तक पहुंचेंगे। डीआईजी कुंभ मेला केपी सिंह के अनुसार पीएम की घोषणा के बाद मूल अक्षयवट तक श्रद्धालुओं के प्रवेश का खाका तैयार कर लिया गया है।
इसके लिए सेना, प्रशासन और पुलिस के अफसरों की एक दौर की समन्वय बैठक हो चुकी है। रूट निर्धारण पर जल्द ही फिर समन्वय बैठक होगी। एक उच्चाधिकारी ने बताया कि पीएमओ से अक्षयवट खोलने के संकेत मिलने के बाद पिछले नवंबर से ही तैयारियां शुरू कर दी गई थीं। 1583 में निर्मित इस किले के भीतर स्थित आयुध भंडार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अक्षयवट के दर्शन की व्यवस्था बनाई जा रही है।
श्रद्धालु पहले अक्षयवट जाएंगे। इसके बाद पालातपुरी में स्थित अन्य देवी-देवताओं, ऋषि-मुनियों की मूर्तियों के दर्शन करते हुए सरस्वती कूप के दर्शन कर किले के पश्चिमी हिस्से में स्थित द्वार से त्रिवेणी मार्ग से होकर बाहर निकलेंगे। मकर संक्रांति के प्रथम शाही स्नान से पहले मूल अक्षयवट को आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा।
इसके लिए सेना, प्रशासन और पुलिस के अफसरों की एक दौर की समन्वय बैठक हो चुकी है। रूट निर्धारण पर जल्द ही फिर समन्वय बैठक होगी। एक उच्चाधिकारी ने बताया कि पीएमओ से अक्षयवट खोलने के संकेत मिलने के बाद पिछले नवंबर से ही तैयारियां शुरू कर दी गई थीं। 1583 में निर्मित इस किले के भीतर स्थित आयुध भंडार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अक्षयवट के दर्शन की व्यवस्था बनाई जा रही है।
श्रद्धालु पहले अक्षयवट जाएंगे। इसके बाद पालातपुरी में स्थित अन्य देवी-देवताओं, ऋषि-मुनियों की मूर्तियों के दर्शन करते हुए सरस्वती कूप के दर्शन कर किले के पश्चिमी हिस्से में स्थित द्वार से त्रिवेणी मार्ग से होकर बाहर निकलेंगे। मकर संक्रांति के प्रथम शाही स्नान से पहले मूल अक्षयवट को आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा।
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