खतरे की घंटी: इस साल सामान्य से कम होगी बारिश


देश में इस साल मानसून सामान्य से कमजोर रह सकता है। इससे देश के भीतर अच्छी खेती और आर्थिक विकास के अनुमानों को झटका लग सकता है। मौसम का अनुमान लगाने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट के अनुसार, 2019 में मानसून का दीर्घ अवधि औसत (एलपीए) 93 फीसदी रहने का अनुमान है। एलपीए का 90 से 95 फीसदी सामान्य से नीचे की श्रेणी में माना जाता है। एलपीए 1951 से 2000 तक बारिश का औसत है, जो 89 सेमी है।स्काईमेट के प्रबंध निदेशक जतिन सिंह ने बुधवार को कहा कि औसत की तुलना में प्रशांत महासागर ज्यादा गर्म हो गया है। आदर्श अनुमान में मार्च से मई के दौरान अल नीनो के आने के 80 फीसदी आशंका है, जबकि जून से अगस्त के लिए 60 फीसदी की आशंका है। इसका मतलब है कि यह अल नीनो वर्ष होने जा रहा है। इसका असर पूरे मौसम के दौरान दिखाई दे सकता है, लिहाजा इस वर्ष मानसून सामान्य से कम रहने का अनुमान है। गौरतलब है कि भारत में साल भर होने वाली बारिश में मानसून सीजन का योगदान लगभग 70 प्रतिशत रहता है और एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र की सफलता के लिहाज से यह खासा अहम है।

फरवरी की तुलना में बदला अनुमान

गौरतलब है कि फरवरी में स्काईमेट ने इस साल मानसून के सामान्य रहने का अनुमान जताया था। हालांकि भारत सरकार के मौसम विभाग ने पिछले महीने मानसून के अच्छा रहने की उम्मीद जताई है, लेकिन अल नीनो के बारे में कुछ खास बात नहीं कही गई थी।

पूर्वी और मध्य भारत में रहेगा बेहद कमजोर 

स्काईमेट के मुताबिक, पूर्वी भारत और मध्य भारत के ज्यादातर हिस्सों में मानसून शुरुआती दो महीने में बेहद कमजोर रहेगा। जुलाई में भी स्थितियों बेहतर होने के आसार बेहद कम हैं। अगस्त में मानसून में सुधार होगा और सामान्य बारिश देखने को मिलेगी। ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तटीय आंध्र प्रदेश में पूरे मानसून सीजन में सामान्य बारिश हो सकती है। 

इस साल बारिश की संभावना

अत्यधिक बारिश (सामान्य के मुकाबले 110 फीसदी) : 0 फीसदी
अधिक बारिश (सामान्य के मुकाबले 105 से 110 फीसदी) : 0 फीसदी
सामान्य बारिश (सामान्य के मुकाबले 96 से 104 फीसदी) : 30 फीसदी 
सामान्य से कम बारिश (सामान्य के मुकाबले 90 से 95 फीसदी): 55 फीसदी
सूखे की आशंका (सामान्य के मुकाबले 90 फीसदी से कम बारिश) : 15 फीसदी 

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