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Showing posts from October, 2018

कुम्भ मेले में गमले लगाकर दिखायी जाएगी हरियाली।

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                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                              कुम्भ के नाम पर सड़क किनारे से काटे गए हजारों हरे पेड़ों की भरपायी प्रशासन गमलों से करेगा। जी हां, कुम्भ के दौरान शहर व मेला क्षेत्र में गमले लगाकर हरियाली दिखायी जाएगी। इसके लिए तीन करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं। कुम्भ की तैयारी में इस साल जिस बेदर्दी से हरे पेड़ काटे गए उतने पहले कभी नहीं। कई सड़कें वृक्षविहीन हो गयी हैं, सिविल लाइन्स क्षेत्र में हरे पेड़ों की कटायी से शहर का एक बड़ा तबका आहत है। बरसात में पांच लाख पौधे लगाने का दावा भी हवा हवाई निकला।  उद्यान विभाग के उप निदेशक डॉ. विनीत कुमार का कहना है कि सवा करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं और गमले खर

अब पटाखों पर भी होगा कुम्भ का ब्रांड। ...

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कुंभ मेले की ब्रांडिंग इस बार पटाखों  से भी होने जा रही है। बाजार में इस बार तमाम पटाखों के नाम कुंभ और उसके स्नान पर्वों पर रखे गए हैं। इसके  अलावा पिछले दिनों ‘मी टू’ के तमाम मामले सामने आने पर एक पटाखे को मी टू नाम भी दे दिया गया है। कई चर्चित फिल्मों के नाम पर भी पटाखों के नाम रखे गए हैं। हालांकि पिछले वर्ष के मुकाबले  इस बार पटाखों के दाम में दस से बीस फीसदी तक की वृद्धि भी हुई है। एंग्लो बंगाली इंटर कालेज में थोक व्यापारियों की दुकानें भी सज गई हैं। प्रयागराज और आसपास के  जिलों के फुटकर व्यापारी वहां सामान खरीदने के लिए पहुंचने भी लगे हैं। अगले वर्ष लगने वाले कुंभ मेले की इस बार सरकार द्वारा व्यापक स्तर पर ब्रांडिंग की जा रही  है। इस कार्य में अब पटाखा कारोबारी भी जुट गए हैं। बाजार में इस बार कुंभ कलश अनार उतारा गया है। इसके अलावा बसंत पंचमी चकरी भी बाजार में आई है। मौनी फूलझड़ी के साथ दो आवाज वाला खिचड़ी बम भी पटाखों के पैकेट में इस बार लिखा मिलेगा। पटाखा कारोबारी ‘मी टू’ को भी भुना रहे हैं। रंगीन रोशनी बिखेरने के बाद तेज आवाज वाले पटाखे को  ‘मी टू’ नाम दिया गया है। सहालग सी

Statue of Unity - Facts

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The Statue of Unity is built in dedication to Iron Man Sardar Vallabhbhai Patel, who served as the first home minister of independent India. Statue of Unity is 182 metre, the statue is 23 metre taller than China's Spring Temple Buddha statue. Sardar Patel is credited with uniting all 562 princely states in pre-independent India to build the Republic of India -- hence the name of the statue. The date for the inauguration of the statue (October 31, 2018) also marks the 143rd birth anniversary of  Sardar Patel . Prime   Minister Narendra Modi   inaugurate the Statue of Unity in Surat, Gujarat today.  The Statue of Unity will be open to the public from November 3, 2018. Location Located on the Sadhu Bet island, near Rajpipla on the Narmada river, the Statue of Unity is located between the Satpura and the Vindhya mountain ranges. A 3.5 km highway will be used to connect the statue to Gujarat's Kevadia town. The 10 interesting facts that distinguish the Statue of Unit

कुम्भ मेला क्षेत्र के सेक्टरों का होगा अलग-अलग लेआउट प्लान।

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 कुंभ मेला क्षेत्र के सभी 20 सेक्टरों का अलग-अलग लेआउट प्लान तैयार हो रहा है। सबसे खास सेक्टर चार और पांच होंगे। सेक्टर चार में अखाड़े होंगे तो पांच में उनके महामंडलेश्वर व आचार्य महामंडलेश्वरों को बसाया जाएगा। लेआउट प्लान के लिए एडीएम कुंभ मेला दयानंद प्रसाद के साथ पांच एसडीएम, 10 तहसीलदार, दस नायब तहसीलदार और 20 लेखपाल व कानूनगो लगाए गए हैं। साथ ही आधा दर्जन एक्सपर्ट इंजीनियर भी लगाए गए हैं। अगले साल 15 जनवरी से कुंभ मेला शुरू होगा, लेकिन मेला दिसंबर से ही बसने लगेगा। संस्थाओं के साथ ही साधु-संतों के टेंट व कल्पवासियों के लिए इंतजाम दिसंबर से होने लगेंगे। इसीलिए कुंभ मेला क्षेत्र में हर सेक्टर को बसाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। इसके लिए कुंभ मेला प्रशासन ने काम तेज कर दिया है। उप मेलाधिकारी राजीव राय ने बताया कि सभी बीस सेक्टरों का अलग लेआउट प्लान बनाया जा रहा है। जहां जैसे जमीन मिल रही है वहां उस तरह सेक्टर को विकसित जाएगा। सेक्टरों को आपस में जोड़ने के लिए अलग से मुख्य मार्ग होंगे। जमीन के समतलीकरण का कार्य शुरू करा दिया गया है। नवंबर में भूमि आवंटन की प्रक्रिया भी शुरू कराई

कुम्भ के दौरान दीवालों पर उकेरी जाएँगी , कई कलाकृतियां।

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प्रयाग कुंभ के दौरान नगरी की सूरत और सीरत को बदलने के लिए एक नई मुहिम छिड़ गई है। इस कड़ी में पेंट माय सिटी के तहत केन्द्रीय कारागार की दीवार पर 54 हजार स्क्वायर फीट के दायरे में समुद्र मंथन की कृतियां उकेरी जा रही हैं। इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी दर्ज कराने की तैयारी है। इस अभियान के तहत नैनी रेलवे स्टेशन, त्रिवेणी पुष्प के अलावा सभी सरकारी, अर्धसरकारी सहित कई निजी इमारतों की दीवारों को पेंट किया जाना है। इन सबमें नैनी जेल की दीवारों पर बनने वाली पेंटिंग सबसे ज्यादा लंबी, ऊंची और ऐतिहासित होगी।  विश्व के सबसे बड़े मेले कुंभ के आयोजन के दौरान प्रयागराज की दीवारों पर साहित्यिक, धार्मिक और एतिहासिक घटनाओं को चित्रों के माध्यम से उकेरा जाएगा। इसे नोएडा की कंपनी इनसोल आर्ट्स पेंट कर रही है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि नैनी जेल की दीवार पर बन रही पेंटिंग इसलिए भी अपने आप में खास होगी क्योंकि यह अब तक की सबसे उंची और लंबी पेंटिंग होगी। जिसमें समुद्र मंथन के कुल 22 पैनल बनाए जाएंगे। केन्द्रीय कारागार के मुख्य गेट से शुरू होने वाले इस पेंटिंग का पहला पैनल देवासुर संग्राम पर आधारि

जानिए क्यों है आपत्ति : इलाहाबाद के नाम बदलने पर...

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इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता सुनीता शर्मा ने प्रदेश सरकार द्वारा इस संबंध में 18 अक्तूबर को जारी अधिसूचना को चुनौती दी है। याचिका में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित अन्य लोगों को पक्षकार बनाया गया है।                                                                                                                                                                             याची के अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव के अनुसार इलाहाबाद नाम के साथ पौराणिकता जुड़ी हुई है। यह प्रयागराज से अधिक पुराना है। प्रतिष्ठानपुरी के शासक मनु की पुत्री इला के नाम से इलावास बना, जो बाद में इलावास और फिर इलाहाबाद हो गया। अकबर से लेकर अंग्रेजों के शासनकाल में इलाहाबाद के नाम से ही इस जिले ने प्रसिद्धि पाई है।                        स्वतंत्रता आंदोलन में भी इसी नाम से इसकी ख्याति हुई। याची ने कहा- नाम बदलने में नहीं हुआ संवैधानिक प्रावधानों का पालनयाची का कहना है कि सिर्फ नाम बदल देने से इसकी धार्मिकता में कोई वृद्धि नहीं होती है।

Triveni Sangam, PRAYAGRAJ (Allahabad)

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  Overview Located about 7 kilometres from the Civil Lines Township in Allahabad, the Triveni Sangam is the junction point of three rivers - Ganga, Yamuna, and Saraswati (which is a mythical river, supposed to have dried up millenniums ago). Both Ganga and Yamuna are extremely revered rivers in Indian mythology, and hence the confluence point of these rivers has attained extremely high religious importance. According to Hindu mythology, taking a bath in the holy Sangam is supposed to flush away all of the sins of the bather and free him or her from the cycle of rebirth. Also, the Sangam itself is a beautiful and peaceful place to visit. The brownish Ganga meeting the greenish Yamuna is indeed a sight to behold. If you take a boat ride to the gently flowing waters of Ganga and Yamuna, you'll be able to make out the difference in colours of water from the two rivers. There are also makeshift wooden banks made at the Sangam. Hence, devotees who want can take a bath right at